A REVIEW OF BAGLAMUKHI SADHNA

A Review Of baglamukhi sadhna

A Review Of baglamukhi sadhna

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देवी को कागज या प्लास्टिक आदि के बनावटी तथा सजावटी पुष्प अर्पित नहीं किये जाते; अपितु उन्हें नवीन (ताजे) और सात्विक पुष्प चढाएं । देवी को चढाए जाने वाले पत्र-पुष्प न सूंघें। देवी को पुष्प चढाने से पूर्व पत्र (पत्ते) चढाएं। विशिष्ट देवी-देवता को उनका तत्त्व अधिक मात्रा में आकर्षित करने वाले विशिष्ट पत्र-पुष्प चढाएं जाते हैं। अत: माँ बगलामुखी पर पीले पुष्प अर्पण किये जाते हैं।

Have a graphic of Bagalamukhi in front of you. Burn an incense, gentle a candle before the impression of Bagalamukhi.

गुरु मंत्र साधना एक मंत्र तंत्र साधना विज्ञान एक प्लेटफार्म है यहा पर मंत्र तंत्र साधना सम्बन्धी ज्ञान प्रदान किया जाता है जो ज्ञान भारत के प्रचीन साधू संताओ से प्रपात किया है । इस वेबसाइट में तंत्र की लेख और वीडियो प्रपात होंगे ।

The initiation of the understanding offered from the Guru for straightforward, safe and protected dwelling, which the Expert painstakingly shares as an knowledge, is the main follow to obtain that information-like honor and grace.

The Tantrasara describes her iconography: Bagalamukhi sits in the golden throne from the midst of the ocean in an altar. Her complexion is yellow (golden). Clad in yellow garments, she is adorned by a garland of yellow flowers and decked with yellow (golden) ornaments.

पीतांबरा के नाम से प्रसिद्ध देवी बगलामुखी की शक्तियां असीमित हैं, तीनों लोक में उनके जैसा बलवान कोई नहीं है, भले ही आपके किसी शत्रु ने आप पर तंत्र more info का प्रयोग किया हो, तो यह आराधना मात्र से उस बाधा को दूर करती है। बगलामुखी अपने साधक के दुश्मनों के सभी प्रयासों को विफल कर देती है। श्री बगलामुखी का परिचय आध्यात्मिक रूप में भगवान की विनाशकारी शक्ति है जो दुश्मनों को भौतिक और आध्यात्मिक रूप में नीचे रखना चाहता है। पितंबरा विद्या के नाम से मशहूर बगलामुखी को अक्सर दुश्मन के डर से मुक्त होने के लिए अभ्यास किया जाता है।

अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।

रात्रि ११ बजे मंगलाचरण के साथ द्वार खोल। देवी स्तुति, गान, पश्चात अस्टोत्री पाठ कथा, जप प्रयोग, हवन सुबह ४ बज, देवी अभिषेक, वस्त्राभूषण, षोडशोपचार पूजन, ध्वज चढ़ाने के पश्चात देवी आरती।

देवी को धूप दिखाते समय धुएं को हाथ से न फैलाएं। धूप दिखाने के उपरांत देवी का विशिष्ट तत्त्व अधिक मात्रा में आकर्षित करने हेतु विशिष्ट सुगंध की अगरबत्तियों से उनकी आरती उतारें।

जिव्हां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा

तेन दीक्षेति हि् प्रोक्ता प्राप्ता चेत् सद्गुरोर्मुखात।।

देवता के आगमन पर उन्हें विराजमान होने के लिए सुंदर आसन दिया है, ऐसी कल्पना कर विशिष्ट देवता को प्रिय पत्र-पुष्प आदि अथवा अक्षत अर्पित करें ।

बंगाल का जादू

आचमनी में कर्पूर-मिश्रित जल लेकर, उसे देवता को अर्पित करने के लिए ताम्रपात्र में छोड़ें।

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